Add To collaction

सरस्वती वंदना

मेरी रचना
             सरस्वती वंदना

   वरदायिनि माँ शारदे,करिए हृदय निवास।
    लेखनी में बस माते,पूरन कर दो आस।।

   निज हृदय में मातु रहे ,हर पल यह विश्वास।
      वाणी में मेरे सदा,करतीं आप निवास।।

    वीणावादिनि आप हैं, जगती की आधार।
    दान दया का दो मातु,सेवक करे पुकार।।

   सुमिरन से माँ आपके, हुआ कलुष का अंत।
     मूरख ज्ञानी हो गया,डाकू बदला संत।।

    मेरी कलम जो लिख दे,आए जग के काम।
    रावण को यदि छू लिया, बन जाए वह राम 

    दुनिया में अज्ञानता,खोलो माता द्वार।
  जोत जलाकर ज्ञान का,फैला दो उजियार।।

   भिक्षुक बन मैं द्वार पर, मांँ दे दो आशीष
    विद्या धन दो शारदे,विनती में नत शीष।।

   बागेश्वरी पूजन करुँ,पद कमल रखूँ माथ ।
  विमले वीणा वादिनी,रख दे सिर पर हाथ ।।

  शास्त्ररूपिणि माँ भारति,शास्त्र का अस्त्र दो।
   नव सृष्टि का संधान हो,ऐसा मुझे शस्त्र दो।।


                 स्वरचित
                    ©®
               निर्मला कर्ण
             राँची, झारखण्ड

   15
4 Comments

Mohammed urooj khan

17-Feb-2024 11:54 AM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

Reply

खूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति

Reply

Gunjan Kamal

16-Feb-2024 07:48 AM

शानदार

Reply